श्रीमाधोपुर कस्बे का दौरा
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Thursday, 27 December 2012
श्रीमद्भागवत कथा
Dec 20, 2012
news in Dainik Bhaskar
श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ आज से श्रीमाधोपुर. कस्बे में श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ स्थानीय सरस्वती मैरिज गार्डन नौलखा में गुरूवार से होगा। आयोजक पूर्व पालिकाध्यक्ष हरिनारायण महंत ने बताया कि कथा शुभारंभ से पूर्व मंदिर सीतारामजी से मंगल कलश यात्रा महिलाओं के द्वारा निकाली जाएगी। इसके बाद कथावाचक वंृदावन के संत हरिचरणदास के द्वारा कथा का महात्म्य सुनाकर कथा का शुभारंभ दोपहर एक बजे से किया जाएगा। Dec 28, 2012
भागवत कथा के समापन पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
news in Dainik Bhaskar
श्रीमाधोपुर. कस्बे के सरस्वती मैरिज गार्डन परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के समापन पर गुरुवार को महिला श्रोताओं की भीड़ उमड़ पड़ी। कथा के दौरान कथावाचक संत हरिचरण भक्तमाली ने कहा कि भगवान के संकीर्तन से ही प्राणी का मोक्ष संभव है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा श्री कृष्ण का साक्षात स्वरूप है जो इसका श्रवण एवं चिंतन करता है उसे ही संसार से मुक्ति मिल जाती है। कथा के समापन पर भागवत कथा की महाआरती की गई तथा पंगत प्रसाद का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजक पूर्व नगरपालिका चेयरमैन हरिनारायण महंत, महंत राजेन्द्र दास, जितेन्द्र शर्मा सहित अनेक लोग व संत उपस्थित थे।
news in Dainik Bhaskar
श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ आज से श्रीमाधोपुर. कस्बे में श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ स्थानीय सरस्वती मैरिज गार्डन नौलखा में गुरूवार से होगा। आयोजक पूर्व पालिकाध्यक्ष हरिनारायण महंत ने बताया कि कथा शुभारंभ से पूर्व मंदिर सीतारामजी से मंगल कलश यात्रा महिलाओं के द्वारा निकाली जाएगी। इसके बाद कथावाचक वंृदावन के संत हरिचरणदास के द्वारा कथा का महात्म्य सुनाकर कथा का शुभारंभ दोपहर एक बजे से किया जाएगा। Dec 28, 2012
भागवत कथा के समापन पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
news in Dainik Bhaskar
श्रीमाधोपुर. कस्बे के सरस्वती मैरिज गार्डन परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के समापन पर गुरुवार को महिला श्रोताओं की भीड़ उमड़ पड़ी। कथा के दौरान कथावाचक संत हरिचरण भक्तमाली ने कहा कि भगवान के संकीर्तन से ही प्राणी का मोक्ष संभव है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा श्री कृष्ण का साक्षात स्वरूप है जो इसका श्रवण एवं चिंतन करता है उसे ही संसार से मुक्ति मिल जाती है। कथा के समापन पर भागवत कथा की महाआरती की गई तथा पंगत प्रसाद का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजक पूर्व नगरपालिका चेयरमैन हरिनारायण महंत, महंत राजेन्द्र दास, जितेन्द्र शर्मा सहित अनेक लोग व संत उपस्थित थे।
Friday, 20 July 2012
श्रीमाधोपुर तीज 2012
श्रीमाधोपुर. कस्बे में शाम चार बजे नायन का जोशी भवन से तीज की सवारी प्रारंभ होकर कचियागढ़ स्टेडियम में पहुंचेगी।
Tuesday, 24 April 2012
श्रीमाधोपुर ने किया 252वें वर्ष में प्रवेश
Shrimadhopur
श्रीमाधोपुर ने किया 252वें वर्ष में प्रवेश
भास्कर न्यूजत्नश्रीमाधोपुर.
कस्बा मंगलवार को 252वें वर्ष में प्रवेश करेगा। 18वीं सदी के पूर्वाद्र्ध वैशाख शुक्ल तृतीय (अक्षया तृतीया) को श्रीमाधोपुर की स्थापना की थी। 1945 में नगरपालिका की स्थापना हुई। श्रीमाधोपुर नगर के संस्थापक खुशहालीराम बोहरा थे।
कस्बे का नामकरण बोहरा ने जयपुर महाराजा माधवसिंह के नाम पर पदवी को आधार मानते हुए श्रीमाधोपुर किया। नगर में सर्वप्रथम संवत 1820 में गढ़ की नींव व श्रीगोपीनाथ मंदिर, चौपड़ में शिव मंदिर एवं पंडित कुशालीराम मिश्र की हवेली का निर्माण हुआ। 1907 में बनी फुलेरा-रेवाड़ी रेल लाइन से कस्बा जुड़ा तथा समय के साथ-साथ नगर विकास की गति भी बढ़ती गई। सन 1889 में खटोड़ा पाठशाला से शुरू हुए शिक्षा के सफर में आज आधा दर्जन से ज्यादा निजी महाविद्यालय, एक राजकीय संस्कृत महाविद्यालय कस्बे में शिक्षा की अलख जगा रहे है।
कस्बे में स्थापित रोडवेज डिपो ने श्रीमाधोपुर को परिवहन की दृष्टि में सुदृढ़ किया। नगर में कृषि उपज मंडी की स्थापना व्यापार के लिए मील का पत्थर बनी और व्यापारिक दृष्टिकोण को नई ऊंचाइयां प्रदान की। चिकित्सा क्षेत्र में कस्बे में राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ-साथ दर्जनों निजी चिकित्सालय अपनी सेवाएं दे रहे है।
कब हुई स्थापना
सन 1761 को
किसने की
जयपुर के तत्कालीन महाराजा माधव सिंह के प्रधान दीवान नोपपुरा निवासी खुशालीराम बोहरा ने
कस्बे की जनसंख्या
31 हजार
श्रीमाधोपुर ने किया 252वें वर्ष में प्रवेश
भास्कर न्यूजत्नश्रीमाधोपुर.
कस्बा मंगलवार को 252वें वर्ष में प्रवेश करेगा। 18वीं सदी के पूर्वाद्र्ध वैशाख शुक्ल तृतीय (अक्षया तृतीया) को श्रीमाधोपुर की स्थापना की थी। 1945 में नगरपालिका की स्थापना हुई। श्रीमाधोपुर नगर के संस्थापक खुशहालीराम बोहरा थे।
कस्बे का नामकरण बोहरा ने जयपुर महाराजा माधवसिंह के नाम पर पदवी को आधार मानते हुए श्रीमाधोपुर किया। नगर में सर्वप्रथम संवत 1820 में गढ़ की नींव व श्रीगोपीनाथ मंदिर, चौपड़ में शिव मंदिर एवं पंडित कुशालीराम मिश्र की हवेली का निर्माण हुआ। 1907 में बनी फुलेरा-रेवाड़ी रेल लाइन से कस्बा जुड़ा तथा समय के साथ-साथ नगर विकास की गति भी बढ़ती गई। सन 1889 में खटोड़ा पाठशाला से शुरू हुए शिक्षा के सफर में आज आधा दर्जन से ज्यादा निजी महाविद्यालय, एक राजकीय संस्कृत महाविद्यालय कस्बे में शिक्षा की अलख जगा रहे है।
कस्बे में स्थापित रोडवेज डिपो ने श्रीमाधोपुर को परिवहन की दृष्टि में सुदृढ़ किया। नगर में कृषि उपज मंडी की स्थापना व्यापार के लिए मील का पत्थर बनी और व्यापारिक दृष्टिकोण को नई ऊंचाइयां प्रदान की। चिकित्सा क्षेत्र में कस्बे में राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ-साथ दर्जनों निजी चिकित्सालय अपनी सेवाएं दे रहे है।
कब हुई स्थापना
सन 1761 को
किसने की
जयपुर के तत्कालीन महाराजा माधव सिंह के प्रधान दीवान नोपपुरा निवासी खुशालीराम बोहरा ने
कस्बे की जनसंख्या
31 हजार
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